तुला: आपकी वाणी और व्यवहार को संयम में रखना पड़ेगा।
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तुला 30 नवम्बर 2013 आपकी वाणी और व्यवहार को संयम में रखना पड़ेगा।
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मन को संयम में रखना चाहिए तथा किसी भी इन्द्रिय का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
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खुद को संयम में रखना भी एक कला है, जिसका सीधा संबंध व्यवहार कुशलता के साथ है।
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गुण-विकास में संयम पद्धति पर बल देते रहे. बचपन से ही बालकइन्द्रियों को, अपने मन को अपनी बुद्धि को संयम में रखना सीखें, यहीमुख्य दृष्टि होनी चाहिए.
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अंहिसा (हिंसा न करना), सत्य (सच बोलना), अस्तेय (अवैध रूप से धन न कमाना), शोच (अंतरंग तथा बहिरंग शुद्धि), और इन्द्रिय निग्रह (इन्द्रियों को संयम में रखना) यह धर्म के पाच सामान्य नियम है जिसका हम सभी को पालन करना चाहि ए.
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प्रतिरक्षा करना विचार रखना प्रतिषेध करना टक्कर लेना / न रोक पाना पर क़ाबू पाना मजबूती से पकड़ना संयम में रखना डिख्ना कूड़ा पर क़ाबू पाना चुनौती देनाना अधिकारी होना साहस करना प्रतिषेध करना खाव मन्ना चुनौती देनाना हिम्मत करना कूड़ा कर्कट प्रतिरक्षा करना पर रहना नियन्त्रित रखना संयम में रखना बिलम्ब होना रच्ना अग्राह्य करना निवारण करना इंकार पसन्द करना ललकारना सामना करना नामँजूर करना अप्रभावित रहना स्थायी होना लूटना अभियोग लगाना संभाले रखना
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प्रतिरक्षा करना विचार रखना प्रतिषेध करना टक्कर लेना / न रोक पाना पर क़ाबू पाना मजबूती से पकड़ना संयम में रखना डिख्ना कूड़ा पर क़ाबू पाना चुनौती देनाना अधिकारी होना साहस करना प्रतिषेध करना खाव मन्ना चुनौती देनाना हिम्मत करना कूड़ा कर्कट प्रतिरक्षा करना पर रहना नियन्त्रित रखना संयम में रखना बिलम्ब होना रच्ना अग्राह्य करना निवारण करना इंकार पसन्द करना ललकारना सामना करना नामँजूर करना अप्रभावित रहना स्थायी होना लूटना अभियोग लगाना संभाले रखना